अगर मैं तुम्हे अपना मानू,
तो क्या मुझे अपना मान पाओगे?
मुश्किलों में क्या तुम,
हाथ मेरा थाम पाओगे?
दूर होकर भी मेरे,
क्या पास तुम रह पाओगे?
गुस्सा बोहोत है मुझमे,
उस गुस्से की आग सह पाओगे?
कपट भरी इस दुनिया में,
क्या तुम श्री कृष्ण सा चाहोगे?
बचाने को पाप से मुझे,
क्या तुम मेरे राम बन जाओगे?
मेरी गलती पर तुम,
क्या मुझे समझाओगे?
या इस दुनिया मैं मुझे,
बाकिओं सा अकेला छोड़ जाओगे?
अगर मैं तुम्हरी ना हो सकी,
तो क्या तुम मेरे हो पाओगे?
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